जालंधर- राकेश वर्मा- मौजूदा काल मीडिया के लिए संकटकाल जैसा है। उसके लिए जहां कई कारण बाहरी हैं जिनमें सरकार व अन्य व्यवस्था मीडिया को कुप्रभावित करने में सक्रिय हैं तो कुछ कारण कथित रूप से मीडिया के भीतर से भी हैं जो समाज में एक खास किस्म की लूटमार करने के कारण सारी मीडिया को बदनाम करने वाले तत्व हैं। आज उन तत्वों की सक्रियता के चलते सरकार में इतनी हिम्मत आ गई हैं कि वो पीले कार्ड जैसे साल में एक दिए जाते सम्मान को भी छीन चुकी है। जिनके पास मीडिया होने का कोई प्रमाण अथवा पंजीकरण नहीं, वो लोग तो सरकारी कार्डों के पात्र बनाए जा रहे हैं पर जो लोग दशकों से मीडिया में अपने काम के चलते अपनी पहचान रखते हैं, जिनके पास भारत सरकार से प्राप्त रजिस्ट्रेशन हैं (मेरी मुराद आर.एन.आई से है न कि बिना किसी मान्यता की कारोबार रजिस्टर करने वाली वैवसाईटों का पंजीकरण) उन्हें तरह तरह के बहाने लगा कर पत्रकार मानने से ही इन्कार किया जा रहा है। ऐसे मौके में मीडिया क्लब के फिर से उदय होनेपर मुझे आशा है कि ये संस्था गंदी मछलियों को तालाब से बाहर रखते हुए पत्रकारिता के लिए इस संकटकाल में कुछ सार्थक काम करेगी।