इस साल श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा 1 जून से शुरू होगी ……..
इस साल श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा 1 जून से शुरू होगी ……..
गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा इस बार एक सप्ताह देरी से शुरू हो पाएगी। बीते दिनों बर्फबारी के चलते इस पावनस्थली के आसपास के इलाके में थोड़ी-बहुत नहीं, बल्कि पूरे 15 फीट मोटी परत बर्फ की जमी हुई है। श्रद्धालुओं की भावनाओं के मद्देनजर यहां बर्फ को हटाने के काम में आर्मी पूरी तन्मयता से जुट गई है, लेकिन इसमें वक्त तो लगेगा ही। इसी के चलते यह यात्रा 25 मई की बजाय 1 जून से शुरू हो पाएगी।
दरअसल, उत्तराखंड के चमौली जिले में 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित विश्वविख्यात गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के दर्शन करने के लिए हर साल देश व विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। संगत के दिलों में विशेष श्रद्धा होने के चलते ही इस कठिन यात्रा पर जाया जाता है। कई किलोमीटर तक पैदल चलने के बाद इस पवित्र स्थान पर पहुंचा जाता है। मान्यता है कि यहां गुरु गोविंद सिंह ने अपने पूर्व जन्म में तपस्या की थी। यहां पर एक पवित्र सरोवर है जो बर्फ से ढका रहता है। संगत यहां पर कर इस सरोवर में श्रद्धा की डुबकी लगाती है।
केवल 5 महीने संगत के लिए खुलने वाला यह गुरुद्वारा साहिब चारों तरफ ऊंची-ऊंची बर्फ से लदी पहाड़ियों के बीच स्थित है। जब मौसम खराब हो जाता है और बर्फ पड़ना शुरू हो जाती है तो अक्टूबर महीने में गुरुद्वारा साहिब को बंद कर दिया जाता है। पहले गुरुद्वारा साहिब को संगत के दर्शन के लिए 25 मई को खोल दिया जाता था, लेकिन इस बार यह 1 जून से पहले संभव नहीं हो पाएगा। इसका मुख्य कारण है सर्दी के दिनों में यहां भारी बर्फबारी, जो इन दिनों भी रुक-रुककर जारी है।
इन दिनों आर्मी के जवान गुरुद्वारा साहिब के पास जमी बर्फ को हटाने में दिन-रात लगे हुए हैं। हर साल आर्मी के जवान यात्रा शुरू होने से एक महीने पहले से गुरुद्वारा साहिब पहुंचने वाले रास्ते पर जमी बर्फ को हटाने का काम शुरू कर देते है। बर्फबारी अधिक होने के कारण बर्फ 15 फिट से अधिक जमी हुई है। आर्मी के जवानों की अथक मेहनत रास्ते से बर्फ में की जा रही है।
गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के मैनेजर दर्शन सिंह ने बताया कि इस बार बर्फ ज्यादा पड़ने के कारण यात्रा की तारीख को कुछ आगे बढ़ाया गया है